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प्राकृतिक पूंजी

कवर किए गए एसडीजी

एक जिम्मेदार ऊर्जा प्रमुख के रूप में, इंडियनऑयल अपने प्रचालनों के पर्यावरणीय पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखता है और तदनुरूप कार्य करता है| अपने उत्तरदात्वि का गौरव के साथ निर्वाह करते हुए हमने पर्यावरणीय प्रबंधन में मिसाल कायम करने की ठानी और अपने ग्राहकों, समुदायों और अन्य स्टेकहोल्डरों के लिए सकारात्मक परिणाम सुनिश्चित किया है|

~240 मेगावाट

अक्षय ऊर्जा

₹ 708.5 करोड़

का खर्च वैकल्पिक ऊर्जा पर

7.17%

की वर्ष-दर-वर्ष कमी पानी की खपत में

3.36

MMTCO2-eq उत्सर्जन उत्सर्जन में कमी

0.283

MMTCO2-eq उत्सर्जन अक्षय ऊर्जा से उत्सर्जन शमन

हमारा पर्यावरणीय निष्पादन

हमने अपने पर्यावरणीय निष्पादन को बढ़ाने पर केंद्रित कई व्यवसाय पद्धतियां क्रियान्वित की हैं| इनमें ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी, हरित ईंधन, हरित भवन, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण आदि मुख हैं| हम अपशिष्ट से मूल्य (वेस्ट टू वेल्यू ) जैसी विभिन्न पहलों पर भी काम कर रहे हैं| इसके तहत ईंधन बनाने के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक का फिर से उपोग (रिसाइकल) किया जाता है, इस्तेमाल किए हुए खाद्य तेल और और अन्य कई सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है|

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला

कंपनी जलवायु पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने का प्रयास करती है| हमने अपने प्रचालनों के कारण उत्पन्न हुए जीएचजी उत्सर्जन के प्रबंधन और उसे कम करने के लिए सभी आवश्क उपाय किए हैं| इसके अलावा, ईंधन गुणवत्ता उन्नयन परियोजना से हमें पर्यावरण में SOx उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है| सतत विकास पहल जैसे वर्षा जल संचयन, जल, कार्बन और अपशिष्ट फुटप्रिंट मैपिंग, सौर पैनलों की स्थापना, एलईडी लाइट और वृक्षारोपण हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए किए गए कुछ प्रयास हैं|

एक्स्ट्रागग्रीन का शुभारंभ

इंडियनऑयल द्वारा लॉन्च किया गया था| यह उत्सर्जन को कम करता है और ईंधन की खपत में 5.78% तक सुधार लाता है|

हमने कार्बन न्यूट्रल होने, जल और अपशिष्ट प्रबंधन पर सर्कुलर अर्थव्यवस्था के समावेशन और ऊर्जा क्षेत्र में एक बेंचमार्क होने के अपने ध्येय को पूरा करने के लिए अपने लिए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं|

ऊर्जा प्रबंधन

ऊर्जा प्रबंधन हमारे लिए फोकस वाले मुख्य क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि यह पूरे व्यवसायिक प्रचालनों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है| हम बायोएनर्जी, हरित हाइड्रोजन, प्लास्टिक से ईंधन बनाने जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के उपोग की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं| यह हमारे कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के प्रयासों को दिखाता है| विभिन्न सरकारी पहलें और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना स्वच्छ और संपोषी ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देती है| इसके अलावा, ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) ऊर्जा खपत को अनुकूलित करने के लिए लागू की गई है|

अक्षय ऊर्जा मिश्रण

कुल स्थापित क्षमता (31.03.2022 तक)

314 ट्रिलियन बीटीयू

कुल ऊर्जा खपत

52

ऊर्जा संरक्षण योजनाएं कार्यान्वित की गईं

~1 टन प्रति दिन

हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता

हम अपने खुदरा नेटवर्क के जरिए हरित ऊर्जा को अपनाने को सक्रियता से बढ़ावा दे रहे हैं| हमारे 1,166 आउटलेट आज अपने परिचालनों में सौर ऊर्जा का उपोग कर रहे हैं| यथा 1 अप्रैल, 2022 को हमारे आउटलेट्स की कुल स्थापित क्षमता 111.5 मेगावाट है तथा सौर ऊर्जा की 118 मिलिन यूनिट वार्षिक ऊर्जा उत्पादन क्षमता है|

इंडियनऑयल ने ऊर्जाक्षम होने और अपने संगठन को हरित परिसर में बदलने के लिए निम्नलिखित पहलें की हैं:

जल प्रबंधन

हमारी मजबूत जल प्रबंधन रणनीति, भूमिगत जल निकालने और पानी की खपत को मापने के साथ-साथ अपने प्रचालनों में पानी के उपयोग को कम करने की पहलों पर केंद्रित है| हम अपने प्रचालनों से ‘ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज’ सुनिश्चित करते हैं| हम पानी का इष्टतम उपुयोग सुनिश्चित करने के लिए वर्षा जल संचन भी करते हैं|

पानी की खपत के पैटर्न और पानी की बचत क्षमता को समझने के लिए हमने सभी रिफ़ाइनरियों के लिए पानी की खपत का अध्ययन किया है| खपत पैटर्न की समय-समय पर निगरानी के लिए हर महीने जल ऑडिट भी की जाती है| इसके अलावा, रिफ़ाइनरियों में आंतरिक एमओयू होते हैं जिनमें विशिष्ट मीठे पानी की खपत, पुन: उपयोग का प्रतिशत और विशिष्ट डिस्चार्ज जैसे संकेतक शामिल होते हैं| शीर्ष प्रबंधन के साथ समीक्षा बैठकों के दौरान वास्तविक उपलब्धियों की मासिक जांच की जाती है तथा वार्षिक लक्ष्यों को कड़े लक्ष्यों के साथ संशोधित किया जाता है|

अपशिष्ट प्रबंधन

इंडियनऑयल में हम यह सुनिश्चित करते हैं कि कुशल अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी पद्धतियां अमल में लाई जा रही हैं| हम राज् प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) सहित सांविधिक निकायों द्वारा लागू कानूनों और नीतियों का अनुपालन सुनिश्चित करते हैं| हम अपने प्रचालनों से उत्पन्न अपशिष्ट को चिन्हित कर और उसे डायवर्ट करने के लिए जिम्मेदारी से सभी कदम उठा रहे हैं| हमने अपशिष्ट न्यूनिकरण, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट के बेहतर परिशोधन के लिए प्रासंगिक उपाय शुरू किए हैं| इंडियनऑयल, ईंधन बनाने के लिए प्लास्टिक कचरे और इस्तेमाल किए हुए खाद्य तेल का इस्तेमाल करते हुए अपशिष्ट से मूल्य सृजन की दिशा में काम कर रहा है|

रिफ़ाइनरियां तैलीय स्लज और इस्तेमाल किए गए उत्प्रेरक सहित खतरनाक अपशिष्ट उत्पादन का मुख्य स्रोत हैं| भंडारण टैंक के तल की सफाई और ईटीपी संचालन के दौरान तैली कीचड़ उत्पन्न होता है| 2021-22 में 1.17 लाख मीट्रिक टन स्लज का निस्तारण 'डिलेड कोकर यूनिट’ (डीसीू), ‘स्लज प्रोसेसिंग यूनिट’, ‘कन्फाइन्ड बायोरिमेडिएशन’ और ‘ऑन-साइट बायो-रेमेडिएशन’ में प्रसंस्करण द्वारा किया गया था|

इसी तरह, रिफ़ाइनरियों और पेट्रोरसायन इकाइों में इस्तेमाल किए गए उत्प्रेरक और शोषक पदार्थ बड़ी मात्रा में उत्पन्न होते हैं| इनका निस्तारण उत्प्रेरक की प्रकृति के अनुसार किया जाता है| वर्ष के दौरान, लगभग 8,933 मीट्रिक टन खर्च किए गए उत्प्रेरक को अधिकृत परिशोधन, भंडारण, और निस्तारण सुविधाओं (टीएसडीएफ), अधिकृत धातु पुनर्चक्रकों (रिसाइक्लर) को ई-नीलामी और आरएफसीसी खर्च किए गए उत्प्रेरक के अधिकृत सहसंसाधकों के माध्यम से सुरक्षित रूप से रिसाइकल किया गया| इंडियनऑयल द्वारा इस्तेमाल में लाई जा रही अपशिष्ट निस्तारण पद्धति नीचे उल्लिखित अनुसार है:

  • ई-कचरे का निस्तारण इंडियनऑयल में नई खरीद के बदले बाय-बैक के माध्यम से या एमएसटीसी लिमिटेड जैसी सरकार द्वारा अनुमोदित ट्रेडिंग एजेंसी के माध्यम से किया जाता है|
  • उत्पन्न जैव चिकित्सा अपशिष्ट (बीएमडब्ल्यू) को परिशोधन और निस्तारण के लिए एसपीसीबी द्वारा अनुयोदित एक आउटसोर्स की हुई एजेंसी को सौंप दिया जाता है
  • रिफ़ाइनरी टाउनशिप और कैंटीन में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को अपशिष्ट प्रबंधन संंयंत्रों में बायोगैस या खाद में बदला जाता है|
  • पुनर्चक्रण (रिसाइकल) योग्य अपशिष्ट (लौह कचरा, प्लास्टिक कचरा, आदि) को अलग किया जाता है और निस्तारण से पहले भंडारण यार्ड में सुरक्षित स्थिति में संग्रहित किया जाता है| इन्हें एमएसटीसी द्वारा नीलामी के माध्यम से पुनर्चक्रकों (रिसाइक्लरों) को बेचा जाता है|
जैव विविधता का संरक्षण

कॉर्पोेरेट पर्यावरण उत्तरदात्वि (सीईआर) योजना के तहत, इंडियनऑयल ने चेन्नई के वन्जीव विभाग के सहयोग से ‘ओलिव रिडले कछुओं का संरक्षण’ नाम की अपनी तरह की पहली परियोजना शुरू की है| ओलिव रिडले कछुआ अकशेरुकी जीवों को खाता है और इसे खुले महासागर और तटी पारिस्थितिक तंत्र, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है| इस पहल के माध्यम से, कछुओं के बच्चों को समुद्र में छोड़ा गया|