प्राकृतिक

पूंजी

कार्बन तटस्थता की ओर जाते हुए और एक चक्रीय (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था में अपना योगदान बढ़ाते हुए, हम निरंतर संसाधन दक्षता को बढ़ावा दे रहे हैं और पर्यावरण पर अपने प्रचालनों का नकारात्मक प्रभाव कम कर रहे हैं।

238.70 मेगावाट

अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता (167.6 मेगावाट पवन, 71.10 मेगावाट सौर पीवी)

₹ 582.8 करोड़

का निवेश अक्षय ऊर्जा और हरित प्रयासों पर

3.80

एमएमटी CO2eq उत्सर्जन

उत्सर्जन टाला / कम किया गया

लक्ष्य

2030 तक कंपनी का ध्येय 31 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है। कंपनी 2030 तक 1 एमएमटी बायोगैस उत्पादन लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रयासरत है। 2046 तक इंडियनऑयल को प्रचालनों में 'शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करवाने में अक्षय ऊर्जा की अहम भूमिका होगी।

प्रमुख विषय

जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण

पर्यावरणीय प्रभावों का प्रबंधन

Circularity/Materials

पर्यावरणीय निष्पादन

हम पर्यावरण के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझते हुए इस ग्रह पर अपना न्यूनतम नकारात्मक प्रभाव छोड़ने के लिए बहुत सी पहले करते हैं। पर्यावरणीय संधारणीयता सुनिश्चित करने के लिए हम ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी, पर्यावरण- अनुकूल ईंधन के विकास, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, जल संरक्षण को बढ़ावा देने और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम को क्रियान्वित करने जैसे कदम उठा रहे हैं।

~6.60 लाख

2022-23 में लगाए गए पौधे

लुप्तप्राय 'प्रजातियों के संरक्षण में योगदान

हमें भारत की चीता पुनर्वास परियोजना में अग्रणी होने पर गर्व है। हमने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मार्गदर्शन में चल रही इस परियोजना के लिए पांच वर्षों में ₹50 करोड़ से अधिक का योगदान देने का वचन दिया है। हमारे सहयोग से 10 मादा और 10 नर चीतों को भारत लाया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें औपचारिक रूप से जंगल में छोड़ा गया। भारत में चीतों के पुनर्वास और संरक्षण के लिए चल रही इस उल्लेखनीय पहल में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर हम गौरवान्वित हैं।

जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन एक गंभीर और दूरगामी चुनौती है, जिसके लिए सामूहिक कार्रवाई और संधारणीय पद्धतियों के प्रति प्रतिबद्धता जरूरी है। इस आसन्न खतरे से निपटने के लिए हम स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने, ऊर्जा दक्षता बेहतर करने और भूमि के संधारणीय उपयोग वाली पद्धतियों को लागू करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए कटिबद्ध हैं। अपने प्रचालनों से उत्पन्न जीएचजी उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिए हमने ठोस कदम उठाए हैं।

संधारणीय विकास को अंगीकृत करने के लिए जल, हमने वर्षा जल संचयन, कार्बन और अपशिष्ट फुटप्रिंटिंग मैपिंग, सौर पैनल तथा एलईडी लाइट की स्थापना जैसी पहल क्रियान्वित की हैं।

इसके अलावा, कार्बन पृथक्करण और पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए पाइपलाइन वाली जगहों पर पौधारोपण किया गया है।

2046 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का संकल्प

हमने हाल ही में वर्ष 2046 तक अपने प्रचालनों में शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने संकल्प लिया है। हमारी डीकार्बनाइजेशन योजनाओं में ₹ 2.4 लाख करोड़ से ज्यादा की अनुमानित बजट आवश्यकता के साथ स्कोप 1 और 2 दोनों के उत्सर्जन शामिल हैं।

शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए हम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का पारदर्शी और सटीक लेखा-जोखा रखने वाले हैं। इसमें उत्सर्जन की नियमित निगरानी, रिपोर्टिंग और सत्यापन शामिल है। हम अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, कंप्रेस्ड बायोगैस, ग्रीन हाइड्रोजन, सीसीयूएस / पौधारोपण और कार्बन बाजारों में निवेश करके स्कोप 1 और 2 के उत्सर्जन कम करने की योजना बना रहे हैं।

20.84

एमएमटी CO2eq उत्सर्जन

जीएचजी पदचिह्न

ऊर्जा प्रबंधन

एक संधारणीय और हरित भविष्य की ओर हमारी यात्रा में ऊर्जा संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा कुशल पद्धतियां और अक्षय ऊर्जा माध्यम अपनाकर हम अपना कार्बन पदचिह्न कम कर सकते हैं। हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर सकते हैं और भावी पीढ़ियों को अधिक स्वच्छ तथा स्वस्थ पर्यावरण दे सकते हैं। वर्ष 2022-23 में, समस्त रिफाइनरियों में 119 ऊर्जा संरक्षण योजनाएं (आंतरिक, पीसीआरए अभिचिह्नित और ईआईएल-अभिचिह्नित) कार्यान्वित की गई। इससे 2,55,379 एसआरएफटी प्रति वर्ष की ऊर्जा बचत हुई, जो ₹ 840 करोड़ की मौद्रिक बचत के समान है। इससे प्रति वर्ष लगभग 0.81 एमएमटी के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन प्राप्त हुआ। छत पर सोलर इंस्टॉलेशन से लेकर खाना पकाने की आंतरिक सौर प्रणालियों तक और वैकल्पिक ईंधन मिश्रण के पायलट परीक्षणों तक, इंडियन ऑयल हरित भविष्य पर बल देते हुए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान कर रही है।

अक्षय ऊर्जा को अपनाना

पारादीप रिफ़ाइनरी में, गोदाम की छत पर 1.87 मेगावाट क्षमता के सोलर पैनल लगाकर अक्षय ऊर्जा अपनाने की तरफ महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह सौर ऊर्जा उत्पादन इकाई, ऊर्जा के पारंपरिक माध्यमों पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा, उमरेर (नागपुर) में इंडियन ऑयल बल्क एक्सप्लोसिव प्लांट में बैटरी बैकअप के साथ 13 किलोवाट की ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा परियोजना पूरी हो गई है। यह परियोजना प्रशासनिक भवन का पूरा विद्युत भार उठा रही है, जो संधारणीय ऊर्जा समाधानों के प्रति इंडियन ऑयल की प्रतिबद्धता को दिखलाता है।

इसके अलावा, हम 238.7 मेगावाट की अपनी वर्तमान अक्षय ऊर्जा क्षमता के साथ अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। हम एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के साथ हालिया सहयोग के जरिए अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को लगभग 2 गीगावॉट तक बढ़ाने जा रहे हैं।

इसके अलावा, उमरेर (नागपुर) में इंडियन ऑयल बल्क एक्सप्लोसिव प्लांट में, बैटरी बैकअप के साथ 13 किलोवाट की ऑफ- ग्रिड सौर ऊर्जा परियोजना पूरी हो गई है।

खाना पकाने की इनडोर सौर प्रणाली

हमारे अनुसंधान और विकास केंद्र ने खाना पकाने का एक इनडोर सोलर सिस्टम बनाया है, जो भारतीय घरों की जरूरतों को पूरा करने वाला एक स्थिर, रिचार्जेबल समाधान है।

वर्तमान में, 50 सोलर कुकटॉप लेह, लक्षद्वीप, ग्वालियर, उदयपुर और दिल्ली-एनसीआर सहित भारत के पांच अलग-अलग शहरों में प्रायोगिक रूप से लगाए गए हैं। सौर विकिरण के घनत्व और खाना पकाने की आदतों पर नजर रखने वाले ये ट्रायल प्रगति पर हैं। इंडियनऑयल ने इस उत्पाद के निर्माण, मार्केटिंग, इंस्टॉलेशन और बिक्री के बाद की सेवाओं के लिए 10 भारतीय विक्रेताओं के साथ सहयोग किया है। कंपनी स्केल अर्थव्यवस्थाओं का लाभ लेकर, उत्पाद जागरूकता, सरकारी समर्थन, उपयुक्त वित्तपोषण मैकेनिज्म को बढ़ाकर सोलर कुकटॉप्स को सफलतापूर्वक बाजार में उतारने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में इंडियन एनर्जी वीक 2023 के दौरान खाना पकाने के इनडोर सोलर समाधान के डबल कुकटॉप संस्करण का अनावरण किया गया, जो अक्षय ऊर्जा के प्रति इंडियनऑयल के संकल्प का एक और प्रमाण है।

इंडियन ऑयल ने इस उत्पाद के निर्माण, मार्केटिंग, इंस्टॉलेशन और बिक्री के बाद की सेवाओं के लिए 10 भारतीय विक्रेताओं के साथ सहयोग किया है।

अक्षय ऊर्जा मिश्रण

कुल स्थापित क्षमता (31.03.2023 तक)

297 ट्रिलियन बीटीयू

कुल ऊर्जा खपत

~ 20 टन प्रति दिन

हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित हो रही है

119

ऊर्जा संरक्षण योजनाएं कार्यान्वित की गई

हरित हाइड्रोजन

इंडियनऑयल हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में अनूठी प्रगति कर रही है और पानीपत रिफाइनरी में 7 केटीए क्षमता वाला अपना पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र लगाएगी। कंपनी ने रिफाइनरी यूनिट से हाइड्रोजन का उपयोग करके गुजरात रिफाइनरी में हाइड्रोजन वितरण की सुविधा स्थापित की है।

हम एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के साथ हालिया सहयोग के जरिए अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को लगभग 2 गीगावॉट तक बढ़ाने जा रहे हैं।

जल प्रबंधन

जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन संधारणीय भविष्य के निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण है। हम संधारणीय पद्धतियां अपनाकर पानी की कमी को दूर कर सकते हैं, जलीय इकोसिस्टम की रक्षा कर सकते हैं, कृषि सहयोग कर सकते हैं और मानव तथा पर्यावरण दोनों की जरूरतों के लिए विश्वसनीय जल आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं। इस संदर्भ में इंडियनऑयल की रिफाइनरियां हर महीने स्वच्छ पानी के अपने उपभोग पर नजर रख रही हैं।

विशिष्ट स्वच्छ पानी, उपचारित अपशिष्ट पानी के पुनः उपयोग और विशिष्ट डिस्चार्ज के वार्षिक लक्ष्यों का सख्ती से पालन किया गया है, जिससे वित्तीय वर्ष 2022-23 में उपचारित अपशिष्ट पानी का 89% पुनर्चक्रण हुआ है।

7.2 7.2 बिलियन लीटर

2022-23 के दौरान संचयित कुल वर्षा जल

पुनः उपयोग और संरक्षण

जल के पुनः उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, 2022-23 में मथुरा रिफाइनरी में एक अनूठी परियोजना शुरू की गई है। इस रिफ़ाइनरी में गैर- पीने के उद्देश्यों के लिए शहर के नगरपालिका अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (ईटीपी) के उपचारित जल का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में, यह रिफ़ाइनरी प्रति दिन 8 मिलियन लीटर (एमएलडी) नदी के ताज़े पानी की जगह उपचारित पानी उपयोग कर रही है। यह परियोजना अंतिम ट्रायल से गुजर रही है। एक बार चालू होने के बाद यह स्वच्छ पानी का उपभोग कम करने और पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

गुजरात रिफाइनरी में भी ऐसे प्रयास जारी हैं, जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के पानी के पुनः उपयोग की परियोजना अंतिम चरण में है। पहले चरण में, वडोदरा में राजीव नगर एसटीपी से 21 एमएलडी उपचारित पानी को गैर-पीने और स्वच्छता कार्यों के लिए रिफाइनरी में उपयोग लाया जाएगा। यह परियोजना गुजरात सरकार की नीति के अनुरूप है। इससे क्षेत्र में जल संरक्षण और पुनः उपयोग के प्रयासों को बल मिलेगा। दूसरे चरण को चालू करने पर काम चल रहा है। इससे 2025-26 तक कुल 40 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग होगा।

Keeping water consumption in check

Recognising the importance of efficient water management, a comprehensive water consumption study was undertaken for all IndianOil Refineries, including CPCL, in collaboration with the Centre for High Technology, under the Ministry of Petroleum and Natural Gas. The study, conducted in 2019, involved an extensive survey to assess consumption patterns and identify opportunities for enhanced water reuse. Based on the findings, short-term and long-term measures were developed, along with reduction targets and time bound action plans. These concerted efforts resulted in significant freshwater savings of 360 m3 /hr in 2022-23, against savings of 446 m3 /hr in 2021-2022.

अपशिष्ट प्रबंधन

संसाधनों के संरक्षण और पृथ्वी पर हमारा नकारात्मक प्रभाव कम करने के लिए निष्पादनों में कुशल अपशिष्ट प्रबंधन पद्धतियां अपनाना आवश्यक है। हम अपनी इकाइयों के हानिकारक अपशिष्ट के भंडारण, पुनर्चक्रण, परिवहन और निपटान के दौरान हानिकारक तथा अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016 का सख्ती से पालन करते हैं। हम विनियामकीय मानकों का अनुपालन करके, अपशिष्ट उत्पादन से जुड़े उत्सर्जन और खतरों को प्रभावी ढंग से कम करते हैं।

यांत्रिक और रासायनिक पुनर्चक्रण

हम चक्रीय (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए यांत्रिक, रासायनिक और जैविक पुनर्चक्रण विधियों के जरिए अपशिष्ट का सक्रिय प्रबंधन करते हैं। यांत्रिक पुनर्चक्रण पर हमारा शोध, अपशिष्ट प्लास्टिक से बनी बिटुमिनस सड़कों, क्रंब रबर संशोधित बिटुमेन, बिटुमेन पैकेजिंग के लिए पॉली बैग और पेवर ब्लॉक के लिए अभिनव उपयोग खोजता है।

इसके अलावा, रासायनिक पुनर्चक्रण करते हुए हम पतले कैरी बैग, मल्टी-लेयर पैकेजिंग, थर्मोकोल और मिश्रित प्लास्टिक सहित सिंगल-यूज़ अपशिष्ट प्लास्टिक की विभिन्न श्रेणियों को तरल हाइड्रोकार्बन तेल, मोम, मूल्य वर्धित रसायन, पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक और बीएस-6 मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता ईंधनों में बदलने के लिए प्रयासरत हैं।

प्लास्टिक अपशिष्ट का न्यूनीकरण

हमने अपना नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हमने अपने पीटीए प्लांट बैगों की पैकेजिंग क्षमता 1100 किलोग्राम से बढ़ाकर 1150 किलोग्राम कर दी है, जिससे पुनर्चक्रण कार्यों में प्रति वर्ष लगभग 11,000 जंबो बैग और 30.8 मीट्रिक टन प्लास्टिक कम हुए हैं।

इंडियन ऑयल ने 'अनबॉटल्ड' पहल शुरू की है, जो कपड़े बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में पुनर्चक्रित पीईटी बोतलों का उपयोग करती है। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के अंतर्गत इंडियनऑयल के रिटेल आउटलेट्स के लगभग 3 लाख ग्राहक परिचारकों और इंडेन एलपीजी डिलीवरी कर्मियों के लिए संधारणीय और पर्यावरण अनुकूल वर्दियां बनाई गई हैं। अनुमान है कि इस पहल में प्रतिवर्ष लगभग 20 मिलियन फेंकी गई पीईटी बोतलें पुनर्चक्रित होंगी, जो अपशिष्ट को न्यून करने और संधारणीयता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

हानिकारक अपशिष्ट का प्रभावी निस्तारण

हम खतरनाक अपशिष्ट के निस्तारण के लिए कई तरीके अपनाते हैं। रिकवरेबल धातुओं से युक्त इस्तेमाल हो चुके उत्प्रेरक स्थानीय एसपीसीबी ( राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) द्वारा अनुमोदित अधिकृत रिसाइकलर्स को बेचे जाते हैं। जिन इस्तेमाल हो चुके उत्प्रेरकों को पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता उन्हें या तो अनुमोदित टीएसडीएफ (उपचार, भंडारण और निपटान सुविधाएं) को भेजा जाता है या आम हानिकारक अपशिष्ट निस्तारण स्थलों पर जमा कर दिया जाता है। सिलिकेट युक्त इस्तेमाल हो चुके (फ्लुइडाइज्ड कैटेलिटिक ब्रेकिंग) यूनिट उत्प्रेरक सीमेंट उद्योगों को भेजे जाते हैं, जहां वे फीड मिश्रण की तरह उपयोग लाए जाते हैं।

तैलीय स्लज के निस्तारण के लिए, हम तेल को अलग करने के लिए हीट ट्रीटमेंट और सेंट्रीफ्यूजेशन तकनीकों का उपयोग करते हैं। इसका बाद में रिफाइनरी में पुनः प्रसंस्करण किया जाता है। बचे हुए स्लज में से 19% से कम तेल सामग्री प्राप्त करने के लिए उसे बायोरीमीडिएशन से गुजरना पड़ता है। बायोरमीडियेटेड अवशिष्ट स्लज को बागवानी के लिए या निर्माण उद्देश्यों के लिए रिफ़ाइनरी में काम लाया जाता है।

इंडियन ऑयल ने हल्दिया रिफाइनरी में गीला सल्फ्यूरिक एसिड संयंत्र प्रारंभ करके चक्रीय अर्थव्यवस्था में अग्रणी योगदान दिया है। इस पहल से रिफाइनरियों द्वारा उत्पादित मौलिक सल्फर का मूल्य बढ़ेगा, जिससे संसाधनों का अधिक संधारणीय और कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा।

ई-कचरा प्रबंधन

हम बायबैंक योजनाओं के माध्यम से ई-कचरे का समुचित निस्तारण करने के लिए ई-कचरा प्रबंधन भी करते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुशल पुनर्चक्रण होता है। इन पहलों से हम चक्रीय अर्थव्यवस्था को चलाने और संधारणीय पद्धतियों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करते हैं।

लाइफ - संधारणीयता अपनाकर इस पृथ्वी को सुदृढ़ बनाना

माननीय प्रधानमंत्री जी ने सीओपी - 26 में 'लाइफ' (पर्यावरण के लिए लाइफस्टाइल) पहल को जन्म दिया था। इसका उद्देश्य संधारणीय पद्धतियों के जरिए पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण करना है। इंडियन ऑयल ने लाइफ मिशन का नेतृत्व करने और लोगों को इस ग्रह का संरक्षक बनाने के लिए सक्रिय उपाय कार्यान्वित किए हैं।

देश भर में जागरूकता अभियानों और कार्यशालाओं के जरिए हमने लोगों, परिवारों और समुदायों को अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, संधारणीय परिवहन और हरित जीवन के प्रति शिक्षित किया है। अपने रिटेल आउटलेट्स और स्थलों पर पारंपरिक बल्ब हटाकर हमने ऊर्जा कुशल एलईडी बल्ब लगाए हैं और अपनी एलपीजी डीलरशिप के जरिए उच्च तापीय दक्षता वाले एलपीजी स्टोव के उपयोग को बढ़ावा दिया है।

प्रदूषण से निपटने के लिए हम कुछ स्थानों पर एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल कर रहे हैं। इंडियनऑयल के रिटेल आउटलेट्स और लोकेशनों पर 'लाइफ' बैनर और पोस्टर प्रमुखता से लगाए गए हैं, तथा सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों को बताने के लिए जूट बैग वितरित किए जा रहे हैं। हमने सिंगल-यूज़ प्लास्टिक से निपटने और ऊर्जा तथा जल संरक्षण का महत्व समझाने के लिए कई स्थानों और रिटेल आउटलेट्स पर नुक्कड़ नाटक आयोजित किए हैं।

इन पहलों के जरिए हमने लाइफ मिशन को आगे ले जाने, जागरूकता पैदा करने और पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों का समुदाय तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। इंडियनऑयल ने संधारणीयता को अपने प्रचालनों में मिलाकर और 'लाइफ' पहल में सक्रिय योगदान देकर व्यवसायों को प्रेरित किया है, जिससे एक हरित और अधिक संधारणीय भविष्य का मार्ग बना है।

अपने रिटेल आउटलेट्स और स्थलों पर पारंपरिक बल्ब हटाकर हमने ऊर्जा- कुशल एलईडी बल्ब लगाए हैं और अपनी एलपीजी डीलरशिप के जरिए उच्च तापीय दक्षता वाले एलपीजी स्टोव के उपयोग को बढ़ावा दिया है।