बीएस-6 से महंगे नहीं होंगे पेट्रोल डीजल
नई दिल्ली   27-May-2019


संजीव सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, इंडियन ऑयल

हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में तेजी से बदलते परिदृश्य के बीच एक ओर जहां पेट्रो ईंधन ज्यादा बेहतर हो रहे हैं, वहीं पारंपरिक पेट्रोल-डीजल केबदले गैस पर निर्भरता तेजी से बढ़ रही है। इसीलिए डीजल-पेट्रोल और अन्य पेट्रो ईंधन बेचने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। वह न सिर्फ तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) में हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दे रही, बल्कि सीएनजी और पीएनजी के विपणन में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी इंडियन ऑयल के कामकाज और भविष्य की रणनीति पर अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजीव सिंह से अमर उजाला के शिशिर चौरसिया ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :

प्रश्न- इस समय पेट्रोलियम एवं गैस क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आप इसे किस रूप में देखते हैं?
उत्तर- सही कहा आपने। सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया भर में यह क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसमें नए-नए बिजनेस मॉडल तेजी से पुराने मॉडल की जगह ले रहे हैं। हालांकि, इन सबके बीच नवीन खोज के जरिये इस क्षेत्र की प्रासंगिकता बनी हुई है, जिससे दुनिया के कुछ हिस्से में प्राथमिक ऊर्जा की जबर्दस्त मांग बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय चलन के अनुरूप भारत के ऊर्जा क्षेत्र में भी काफी बदलाव ओ रहा है और हम अपनी रणनीति भी उसी अनुसार बदल रहे हैं। 21वीं सदी में गैस का उपयोग तेजी से बढ़ा है और हमने भी इस ओर मजबूत कदम बढ़ाया है। पेट्रोल और डीजल को भी ज्यादा बेहतर बनाने के लिए दुनिया भर में बीएस-4 से बीएस-6 में बदलने की शुरुआत हो चुकी है। दिल्ली में हमने पिछले साल एक अप्रैल से ही बीएस-6 मानक के ईंधनों की आपूर्ति शुरू कर दी है। अगले साल एक अप्रैल से इस मानक के ईंधनों की आपूर्ति पूरे देश में होनी है, जिसकी तैयारी जोरों पर है।

प्रश्न- बीएस-6 मानक के ईंधन का उत्पादन नई तकनीक से होता है जबकि आपके तेलशोधक कारखाने पुराने तकनीक पर आधरित हैं। यह बदलाव कैसे संभव होगा?
उत्तर- हमने 2017 से ही इस दिशा में परियोजनाओं पर अमल शुरू कर दिया है। सभी तेलशोधक रिफाइनरी को अपग्रेड करने का काम चल रहा है। कई रिफाइनरियों में बीएस-6 मानक केपेट्रोल-डीजल का उत्पादन शुरू हो गया है, जबकि शेष में अगले कुछ महीनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा। अभी तक 90 फीसदी काम इस दिशा में पूरा हो चुका है। हम पूरी तरह आश्वस्त कराना चाहते हैं कि अगले साल एक अप्रैल से पहले हम देशभर में इस मानक के ईंधन की आपूर्ति शुरू कर देंगे।

प्रश्न- तकनीक को बीएस-4 से बीएस-6 तक अपडेट करने में कंपनी कितना निवेश कर रही है और उपभोक्ता इसके लिए कितना मूल्य चुकाएंगे?
उत्तर- रिफाइनरी तकनीक को बीएस-4 से बीएस-6 पर ले जाने केलिए हमने करीब 16,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। ग्राहकों को हम बेहतर ईंधन उसी कीमत पर उपलब्ध कराएंगे, जिस कीमत पर बीएस-4 मानक के ईंधन देते रहे हैं। इस अतिरिक्त निवेश के लिए हम ग्राहकों से एक पैसा भी नहीं वसूलेंगे। यह सब कंपनी अपनी तरफ से खर्च कर रही है। इससे न सिर्फ हमारे ग्राहकों का विश्वास बढे़गा, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।

प्रश्न- इस क्षेत्र की तकनीक में तेजी से आ रहे बदलाव को देखते हुए कंपनी की भविष्य की तैयारी क्या है?
उत्तर- कंपनी को भविष्य के लिए तैयार करने में हमारा अनुसंधान एवं विकास केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बदलाव के लिए खुद को तैयार करने में हमने अगले पांच-सात वर्षों में करीब दो लाख करोड़ रुपये के निवेश का खाका तैयार किया है। यह निवेश रिफाइनरियों के विस्तार, स्वच्छ ईंधन के लिए नई तकनीक पर अमल, उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी, रिफाइनरी परिसर में पेट्रो रसायन परिसर का विकास आदि में होगा। मैं बताना चाहता हूं कि पहले हम जो नई तकनीक पर अमल करते थे, वह तकनीक किसी और कंपनी द्वारा विकसित की जाती थी। इसीलिए इस पर हमें लाइसेंस फीस, रॉयल्टी आदि का भुगतान करना पड़ता था। अब जो तकनीक लागू कर रहे हैं, उसे हमारे आरएंडडी सेंटर ने खोजा है। इससे हमारी काफी बचत हो रही है। हमने जैव ईंधन के विकास, कोल गैसीफिकेशन, एच-सीएनजी, हाइड्रोजन फ्यूल सेल, बैटरी तकनीक आदि पर हम आक्रामक ढंग से काम कर रहे हैं।

प्रश्न- देश इस समय गैस पर आधारित अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ा रहा है। इस दिशा में आपकी क्या कार्य योजना है?
उत्तर- गैस क्षेत्र में कंपनी को मजबूत बनाने के लिए हमने इन्नोर में एलएनजी टर्मिनल शुरू किया है। इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख टन है। इससे हमारे कारोबार को काफी बल मिला है। हम इस बढ़ते क्षेत्र में अभी नंबर दो पर पहुंच चुके हैं। पिछले वर्ष हमने 39.6 लाख टन गैस की बिक्री की जो एक साल पहले के मुकाबले तीन फीसदी ज्यादा है। हम पूर्वोत्तर में बनाए जा रहे इंद्रधनुष प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड में संयुक्त उद्यम के पार्टनर हैं। शहरी गैस वितरण परियोजना में मजबूत हिस्सेदारी करते हुए नौंवे और दसवें राउंड में 17 भौगोलिक क्षेत्रों का लाइसेंस हासिल किया है। कुछ और संयुक्त उद्यम भागीदारों के साथ 8वें, 9वें और 10वें राउंड की बोली में 23 क्षेत्र मिले हैं। कुल मिलाकर 40 भौगोलिक क्षेत्रों में हम काम कर रहे हैं। शहरी गैस परियोजना में अगले आठ साल में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी है।